हाय! हुसैन
हाय! हुसैन, हाय! हुसैन
हाय! हुसैन, हाय! हुसैन, हाय! हुसैन
हाय! हुसैन, हाय! हुसैन
शिम्र ने गर्दन ए मज़लूम पे खंजर जो रखा
कुछ क़दम दूर से देती रही ज़ैनब ये सदा
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र ख़ंजर ना चला
जोड़कर हाथ ये कहती रही विनत ए ज़हरा
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
तीर जी भर के इसे मार चुका है लश्कर
बर्छियां पहलू में टूटी हैं, सितम और ना कर
खुद ही आ जाएगी कुछ देर में, भाई को कज़ा
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
—-
आखरी मुझसे मुलाक़ात उसे करनी है
ऐसा लगता है कोई बात उसे करनी है
कितनी हसरत से मुझे देख रहा है भैय्या
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
मिन्नतें करती हूं ज़ालिम तेरी, ऐसा तो ना कर
असर के वक़्त मेरे घर में अंधेरा, तो ना कर
शाम से पहले बुझाता है चराग़ ए ज़हरा
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
ये दिल ओ जान ए रसूले अरबी है, ज़ालिम
साथ मजलूम के ये बे-अदबी है, ज़ालिम
मिस्ले क़ुरआन है ये, ज़ानू तो सीने से हटा
शिम्र (लईं) खंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) खंजर ना चला
—
हाय …….
सुनके हल्मिन की सदा आई है रंग में बच्ची
चल ना जाए कहीं दोनों पे लईं तेरी छुरी
देख भाई के गले पर है सकीना का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
काट कर शाम ही ले जाने हैं सर तुझको अगर
फेर ले औन ओ मोहम्मद के गलों पर ख़ंजर
मेरे भैय्या के ना कर जिस्म से, तू सर को जुदा
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आख़री बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईन) ख़ंजर ना चला
देख सकता नहीं तू जो, नज़र आता है मुझे
वास्ता देती हूं ततहीर की आयत का तुझे
हाथ अम्मा ने है शब्बीर की गर्दन पे रखा
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आख़री बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
काट कर सजदे में अकबर शहे वाला का गला
शिम्र हस्ता हुआ शब्बीर के सीने से उठा
गूंजती रह गई मक़तल में ये जै़नब की सदा
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला
आखरी बार बहन चूम ले भाई का गला
शिम्र (लईं) ख़ंजर ना चला